हल्द्वानी। पंचायत चुनाव बार- बार टाले जाने से नाराज उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने प्रदेश सरकार और प्रशासकों के हवाले करने की निंदा की है। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी एवं हल्द्वानी महानगर के मुख्य संयोजक अशोक डालाकोटी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि प्रशासकों की नियुक्ति का फैसला यह सिद्ध करता है कि वह जनता की चुनी हुई संस्थाओं को मजबूत करने के बजाय उन्हें कमजोर करने में लगी है। उपपा ने कहा कि हम यह साफ कहना चाहते हैं कि पंचायत व्यवस्था– ग्राम, क्षेत्र और जिला स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र का आधार है। इन संस्थाओं की ईमानदारी से लोकतंत्र में आने की व्यवस्था होनी चाहिए। जिला पंचायत अध्यक्षों और क्षेत्र प्रमुखों की यह अप्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था जारी रही तो समझा जाएगा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार जानबूझ कर गांवों को भ्रष्टाचार में डुबाने में लगी है।
उपपा नेताओं का कहना है कि पंचायती राजमंत्री सतपाल महाराज ने अपने आधिकारिक बयान में जिला पंचायत प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने की मांग की थी, लेकिन सरकार की चुप्पी ही पंचायत मंत्री के बयान पर सवाल खड़े कर रही है।
तिवारी ने समयबद्ध पंचायत चुनाव की मांग की। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों का चुनाव सीधे जनता द्वारा होना चाहिए, जिससे ईमानदार, ज़िम्मेदार और विकासशील नेतृत्व पंचायतों में आएगा।
सरकार पंचायतों की स्वायत्तता को खत्म कर रही है, और जनता को केवल दर्शक बनाकर रख देना चाहती है। बार -बार चुनाव टालने और प्रशासकों की नियुक्ति कर यह सरकार लोकतंत्र को नौकरशाही के हवाले कर रही है। यह न सिर्फ संविधान की भावना के खिलाफ है, बल्कि उत्तराखंड की जनता के अधिकारों का खुला अपमान है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी राज्य की जनता से आह्वान करती है कि इस अलोकतांत्रिक और जनविरोधी रवैये का एकजुट होकर विरोध करें।
