नई दिल्ली। भारत में कई वर्षों से दलितों के खिलाफ भेदभाव एक जटिल समस्या बनी हुई है। भले ही संविधान सभी नागरिकों को समान मानता हो, लेकिन अभी भी दलितों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि कम पढ़े लिखे लोग ही इस तरह की ओछी मानसिकता रखते हैं, बल्कि अपने आपको हाई प्रोफाइल बताने वाले सभ्य और ऊंचे पदों पर बैठे लोग भी इसके जीते जाते उदाहरण हैं।
इंडिगो एयरलाइंस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर जाति आधारित भेदभाव और अमर्यादित भाषा इस्तेमाल करने का आरोप लगा हैं। पुलिस ने एससी/ एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत इन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि 28 अप्रैल को इंडिगो के गुरुग्राम मुख्यालय में अधिकारी तापस डे, मनीष साहनी और कप्तान राहुल पाटिल ने अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले प्रशिक्षु पायलट से कार्य स्तर पर जातिवादी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि 30 मिनट की बैठक के दौरान अधिकारियों ने उसे अपमानित किया। पीड़ित के अनुसार अधिकारियों में उससे कहा कि “तुम विमान उड़ाने के लायक नहीं हो, जाओ चप्पल सिलना सीखो,” और “तुम्हारी तो चौकीदारी करने की औकात भी नहीं है।”
इसके बाद प्रशिक्षु पायलट ने बेंगलुरु पुलिस को जीरो एफआईआर दर्ज कराई। प्रशिक्षु पायलट ने आरोप लगाए कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिस कारण उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।
इधर दूसरी ओर बेंगलुरु पुलिस ने जीरो फिर गुरुग्राम भेज दी। विवाद बढ़ने के बाद एयरलाइंस ने सोमवार को ऐसे किसी भी आरोपों से इनकार कर दिया है। उन्होंने प्रशिक्षु पायलट के आरोपी को निराधार बताया। एयरलाइन ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पूरा सहयोग देगी।
सहायक उपनिरीक्षक दलविंदर सिंह ने बताया कि पुलिस इस मामले में साक्ष्य जुटा रही है और जल्द ही सभी संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
