खटीमा। उत्तराखंड के पारंपरिक लोकगीत और नृत्य ‘हुड़किया बौल’ के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धान की रोपाई की। पुराने दिनों को याद करते हुए मुख्यमंत्री धामी पैजामे को घुटने तक मोड़कर खेत में पहुंचे। उन्होंने बैलों से पटेला लगाकर खेत को समतल किया। इस दौरान उन्होंने किसानों के त्याग और समर्पण को याद किया।
शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरिद्वार से खटीमा स्थित अपने निजी आवास पहुंचे। उनके आवास के पास ही किसान खेत में उत्तराखंड के पारंपरिक लोकगीत ‘हुड़किया बौल’ के साथ रोपाई कर रहे थे। पारंपरिक गीतों के साथ रोपाई होते देख मुख्यमंत्री की बचपन के दिनों की याद ताजा हो गई। अपने पैजामे को घुटने तक मोड़कर मुख्यमंत्री धामी खेत में चल गये। धान की रोपाई का आनंद लेते हुए मुख्यमंत्री ने बैलों से पटेला लगाकर खेत को समतल किया। उन्होंने पारंपरिक ‘हुड़किया बौल’ के साथ धान की रोपाई की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं साथ ही संस्कृति और परंपरा के वाहक भी हैं। उन्होंने कहा कि हुड़किया बौल उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपरा के माध्यम से देवताओं की वंदना करना है। उन्होंने किसानों के त्याग और समर्पण को याद किया।
