पिथौरागढ़। आईपीएस विमला गुंज्याल सीमांत जनपद के ‘‘वाइब्रेंट गांव ” गुंजी की निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई हैं। संभव है उत्तराखंड में यह पहला मौका होगा जब कोई आईपीएस प्रधान प्रधान की बागडोर संभालेगा। आईपीएस विमला के निर्विरोध निर्वाचन के बाद गांव में खुशी का माहौल है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि विमला गुंज्याल के नेतृत्व में गूंजी गांव विकास की राह में तेजी से आगे बढ़ेगा।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पद से सेवानिवृत्त आइपीएस विमला गुंज्याल के हाथों में अब केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी वाइब्रेंट विलेज योजना का हिस्सा गुंजी की बागडोर होगी। इस ग्राम पंचायत से उनका निर्विरोध प्रधान बनना तय हो गया है। शनिवार को नामांकन दाखिल करने का अंतिम दिन था। ग्राम गूंजी में पहले पांच अन्य ग्रामीण भी प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र खरीद चुके थे। गुरुवार को विमला गुंज्याल धारचूला पहुंचीं। शुक्रवार को गूंजी मिलन केंद्र में बैठक हुई, जहां ग्रामीणों ने आपसी सहमति से तय किया कि कोई भी उनके खिलाफ नामांकन दाखिल नहीं करेगा। निर्वाचन अधिकारी प्रमोद मिश्रा के अनुसार, सभी उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस लेकर विमला गुंज्याल का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें निर्विरोध ग्राम प्रधान घोषित कर दिया गया।
जनपद पिथौरागढ़ के की व्यास घाटी में बसे भारत-चीन सीमा के नजदीक गांव गूंजी ने एक इतिहास रचा है। देश के ‘‘वाइब्रेंट विलेज” कार्यक्रम में शामिल किसी गांव की पहली निर्विरोध ग्राम प्रधान के रूप में पूर्व आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल चुनी गई हैं। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी विजिलेंस) रह चुकीं विमला गुंज्याल ने 35 वर्षों तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस विभाग में सेवाएं दे चुकी हैं। गुंज्याल 2025 में आईजी विजिलेंस के पद से सेवानिवृत्त हुईं। 2019 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी नवाजा गया था. अब ग्रामीणों के आग्रह पर उन्होंने अपने गांव गूंजी की सेवा करने का फैसला लिया है।
निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने जाने के बाद गुंज्याल ने कहा कि उन्होंने गांव वालों के अनुरोध पर इस चुनाव में हिस्सा लिया। कहा कि अपने गांव की स्वच्छता संबंधी, विकास संबंधी और संसाधन प्रबंधन संबंधी समस्याओं को हल करने की पूरी कोशिश करूंगी।
