बागेश्वर। प्रदेश सरकार भले ही लोक संस्कृति व परंपराओं को बचाने की बात कर रही है। लेकिन लोक परंपराओं को असल में सहेजने वाले कलाकारों की अनदेखी की जा रही है। भले ही कलाकारों को तालियां और तारीफ बहुत मिलती हो, लेकिन इनके सहारे जिन्दगी नहीं जी सकती है। राज्य सरकार लोक कलाकारों के हितों का ध्यान नहीं रख पा रही है, जिससे उनका मनोबल टूट रहा है। इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं जनपद बागेश्वर के गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वालीं लोक गायिका कमला देवी।
लोक गायिका कमला देवी कई वर्षों से जर्जर मकान में रह रहीं थी। चार दिन पहले तेज तूफान में उनके मकान की छत उड़ गई। जिसके बाद उनका घर और भी जीर्ण-शीर्ण हो गया। आर्थिक रूप से कमजाेर कमला देवी प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भी आवेदन कर चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने ब्लॉक ऑफिस, तहसील और जिलाधिकारी से भी गुहार लगाई, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया।
इधर तहसीलदार निशा रानी का कहना है कि कमला देवी ने प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया है। आवास का बजट मिलते ही उन्हें भी आवंटित किया जाएगा। उन्होंने कमला देवी को मदद का भरोसा दिया गया है।
बता दें कि उत्तराखंड की प्रसिद्ध राजुला-मालूशाही लोक विधा की पारंपरिक गायिका कमला देवी जागर, हुड़की बौल, पतरौल गीत, झौड़ा-चांचरी, छपेली, भगनौल और दूसरे कई पहाड़ी लोकगीत गाने में पारंगत हैं। उन्होंने कपकोट, देवीधुरा, कोटाबाग, रामनगर, गरुड़ समेत कुमाऊं के कई क्षेत्रों में प्रस्तुति दी है। उन्हें एक बार लखनऊ में भी गाने का मौका मिला था। कमला देवी दूरदर्शन पर भी उत्तराखंड के लोकगीतों व लोक जागरों की प्रस्तुति दे चुकी हैं। वह कोक स्टूडियो सीजन 2 में दिलजीत दोसांझ, श्रेया घोषाल, नेहा कक्कड़, एमसी स्क्वैर समेत कई गायक नजर आ चुकीं हैं। यह बड़ी विडंबना की बात है कि उत्तराखंड की इतनी प्रसिद्ध लोक गायिका को सरकार और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है।
