चंपावत। बाराकोट तहसील के सील गांव में एक पिता ने अपनी 13 वर्षीय बीमार बेटी को आठ किमी पैदल पीठ पर लादकर सड़क तक पहुंचाया। यहां से वाहन पर 15 किमी की यात्रा कर बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया। मुख्यमंत्री की घोषणा के चार साल भी 120 परिवार वाले इस गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। चुनाव बहिष्कार की चेतावनी के बावजूद यहां के ग्रामीणों के लिए सड़क अभी भी एक सपना बनी हुई है।
जनपद चंपावत के सील गांव के ग्रामीण सड़क सुविधा नहीं होने का दंश झेल रहे हैं। मंगलवार सुबह करीब दस बजे कक्षा आठ में पढ़ने वाली 13 वर्षीय निशा बिष्ट पुत्री सुरेश सिंह बिष्ट की तबीयत खराब हो गई। निशा के पिता उसे आठ किमी पैदल पीठ पर लादकर पातल गांव स्थित मुख्य सड़क तक पहुंचाया। 15 किमी वाहन से सफर कर बीमार निशा को उप जिला अस्पताल लोहाघाट में भर्ती कराया। जांच के बाद फिजिशियन डॉ. राकेश जोशी ने बताया कि बीमार छात्रा को पीलिया हुआ है। फिलहाल बीमार निशा का उपचार चल रहा है। लोहाघाट के अधिशासी अभियंता हितेश कांडपाल के अनुसार बाराकोट ब्लॉक के सुतेड़ा गांव से सील तक 4.250 किमी लंबी सड़क प्रस्तावित है। वन आपत्ति निस्तारण के बाद प्रस्ताव नोडल कार्यालय भारत सरकार भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
17 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धामी ने सील गांव को सड़क से जोड़ने की घोषणा की थी। चार साल के बाद भी सड़क नहीं बन सकी है। ग्रामीणों ने वर्ष 2022 में सड़क निर्माण को लेकर विधान सभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया। हालांकि तत्कालीन डीएम नवनीत पांडेय के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार नहीं किया।
